Rigveda Nasadiya Sukta In Hindi | ऋग्वेद में सृष्टि की उत्पत्ति का रहस्य

Rigveda Nasadiya Sukta: ऋग्वेद, जो कि मानवता के प्राचीनतम ग्रंथों में से एक है, भारतीय संस्कृति और ज्ञान का एक अनमोल स्रोत है। इसमें न केवल धार्मिक मंत्र हैं, बल्कि सृष्टि, अस्तित्व और जीवन के गहरे रहस्यों की भी चर्चा की गई है। इस लेख में, हम ऋग्वेद में सृष्टि की उत्पत्ति के रहस्य को विस्तार से समझेंगे, और इसे “जेनसिस थ्योरी” के संदर्भ में देखेंगे।

Rigveda Nasadiya Sukta

Rigveda Nasadiya Sukta में सृष्टि का आरंभ

ऋग्वेद प्राचीन भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे वेदों में से सबसे पहला माना जाता है। इसमें 10 मंडल (कांटों) में विभाजित 1028 सूक्त (श्लोक) हैं। ऋग्वेद में विभिन्न देवताओं की स्तुतियाँ, अनुष्ठान, और मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन है।

मुख्यतः, ऋग्वेद में अग्नि, इंद्र, वायु, सूर्य और सोम जैसे देवताओं की पूजा का उल्लेख मिलता है। इसके श्लोकों में प्रकृति, समाज, और मानव अनुभव की गहरी समझ देखने को मिलती है।

ऋग्वेद के 10वें मंडल में स्थित “नासदीय सूक्त” सृष्टि की उत्पत्ति पर गहराई से विचार करता है। इस सूक्त में अज्ञातता, अंधकार और सृष्टि के आरंभ की स्थिति का वर्णन किया गया है। यह सूक्त मानवता को यह सोचने पर मजबूर करता है कि सृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई।

Rigveda Nasadiya Sukta

1. नासदासीन्मिनोयदासीत्
नासदासीन्मिनोयदासीत्
यदामृतं तदसदामृतं

2. सदा ह्यसददत्यतोऽसदात्मा
तेऽसदाभिव्यक्तः प्राण्यवेद

3. यद्वै तत् सत्यं तद् वेद
यद्वै तदसद् अज्ञायते।

4. किं तद्विदति यन्न विदति सः
असतं तद् अपश्यन्

5. यद्वै तद्वेद तद्वेद्मृतः
ते ह्यसदादिति

6. किं तद्विदति यन्न विदति सः
सत्यं तद्वेद।

7. किमासीत् किमकं हि
यद्वै तदनादिभुतं यद्वै तद्यद्वह्यम्।

8. स तस्य नासदादिति हि यद्वै
नासदीयेन विदेति यद्वै सत्यम्।

Rigveda Nasadiya Sukta का सार

Rigveda Nasadiya Sukta में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख है:

  1. अंधकार और शून्यता: सूक्त की शुरुआत अंधकार से होती है। “नासदासीन्नो सदासीत्तदानीं” अर्थात, “कुछ नहीं था, केवल अंधकार था।” यह अज्ञातता की स्थिति का प्रतीक है, जिसमें न तो जीवन था और न ही किसी प्रकार का क्रम।
  2. सृष्टि का कारण: सूक्त में कहा गया है कि सृष्टि का कारण केवल एक शक्ति या ईश्वर की इच्छा नहीं थी, बल्कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया थी। “किमाऽवर्ती, किमाऽवर्तत” अर्थात, “क्या हुआ, क्या नहीं हुआ।” यह सवाल सृष्टि की उत्पत्ति के रहस्यमय पहलुओं को दर्शाता है।
  3. तत्वों का मिलन: सूक्त में यह भी बताया गया है कि विभिन्न तत्वों का मिलन और संतुलन ही सृष्टि का कारण बना। जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी के तत्वों ने मिलकर जीवन का निर्माण किया।

सृष्टि की प्रक्रिया

ऋग्वेद में सृष्टि की प्रक्रिया का वर्णन करते हुए यह दर्शाया गया है कि सृष्टि एक क्रमिक विकास की प्रक्रिया है। यह विकास कैसे हुआ, इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करते हैं:

  1. प्रकृति की शक्ति: ऋग्वेद के अनुसार, प्रकृति की शक्ति ही सृष्टि के पीछे का मुख्य कारण है। यह तत्वों के बीच के संबंधों को समझाता है, जहाँ हर तत्व का एक विशेष स्थान है।
  2. चेतना का उदय: सृष्टि में चेतना का विकास भी महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे तत्वों का मिलन होता है, जीवन और चेतना का विकास होता है। यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि जीवन केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है।
  3. समन्वय और संतुलन: ऋग्वेद के अनुसार, सृष्टि में समन्वय और संतुलन बहुत महत्वपूर्ण हैं। सभी तत्व एक-दूसरे के पूरक हैं और उनका आपसी संबंध सृष्टि के लिए आवश्यक है।

विज्ञान और वेद

आधुनिक विज्ञान के दृष्टिकोण से भी सृष्टि की उत्पत्ति की विभिन्न थ्योरियों को समझा जा सकता है। जैसे:

  1. Big Bang Theory: यह थ्योरी बताती है कि एक बिंदु से ब्रह्मांड का विस्तार हुआ। यह दृष्टिकोण ऋग्वेद के नासदीय सूक्त से मेल खाता है, जहाँ अज्ञातता से प्रकाश और जीवन का प्रकट होना दर्शाया गया है।
  2. Atom स्तर पर विकास: विज्ञान भी इस बात को स्वीकार करता है कि सृष्टि के प्रारंभ में अणुओं और कणों के बीच की क्रियाएँ ही जीवन का निर्माण करती हैं। यह प्रक्रिया ऋग्वेद की सृष्टि की व्याख्या को प्रमाणित करती है।

निष्कर्ष

ऋग्वेद में सृष्टि की उत्पत्ति का रहस्य न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी विचारणीय है। यह हमें यह समझाता है कि जीवन का प्रारंभ एक जटिल और गूढ़ प्रक्रिया का परिणाम है, जिसमें अनेक तत्वों और बलों की भूमिका है।

इस विषय पर आपकी क्या राय है? क्या आप भी ऋग्वेद की सृष्टि के बारे में कुछ और जानना चाहेंगे? अपने विचार साझा करें!

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